Wednesday, November 24, 2021

सजगता-Sajgta-Shree-Pravchan-Piyush-ji

 सजगता 


यदि कभी जानकर या अनजाने से कोई भूल अथवा अपराध हो जाये, तो उसका प्रायश्चित करना चाहिये !  इससे अंतःकरण निर्मल हो जाता है और पाप का काँटा निकल जाता है ! स्वाध्याय, जप, उपवास आदि प्रायश्चित है ! जिनका ध्यान में मन नहीं लगता, उन को दस, इक्कीस, इकतीस लाख अथवा इससे अधिक जप करना चाहिये ! नाम का सवा करोड़ जप करने से तो वैसे ही मन शांत हो जाता है और मंत्र सिद्ध हो जाता है !


अपने कार्यों पर दृष्टी रखनी चाहिये ! इसके लिए प्रारम्भ में कुछ समय तक श्रम करना पड़ता है ! फिर यह स्वभाव बन जाता है, तथा इसके लिये श्रम नहीं करना पड़ता, ऐसी वृत्ति ही बन जाती है ! पर यह वे है कर सकते है, जिनके लगन अधिक है ! ऐसा सोचना चाहिये कि हमने जो साधारण ज्ञान विज्ञान प्राप्त किया, उसके लिये कितना श्रम किया और हमने इस कार्य के लिये कितना श्रम किया है ?



श्री स्वामी सत्यानंद जी महाराज जी के श्री प्रवचन पियूष जी से 


From Shree Pravachan Piyush ji 


Page No. 379

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