Thursday, March 5, 2020

Unnati Ka Rahsya




:: उन्नति का रहस्य   ::


मनुष्य  के जीवन का बहुत  भाग आलस्य में व्यतीत होता है ! अत: हर समय धर्म का पालन करने को तैयार  रहना  चाहिये  ! आत्मा का उत्थान  करना चाहो, तो कार्य  करने को तैयार  रहो ! कोई  काम  कल को नहीं छोड़  रखना चाहिये  ! एक  पल  की  किसी  को  खबर  नहीं, तो कल की क्या मालूम  ?  'काल करें  सो आज कर, आज करें  सो अब ' !  कच्चा  मन आगे करने की टाल-टूल का संकल्प  करता है ! कच्चा मन समय टालता है !  अच्छे कामों  में देर  नहीं करना, हिचकना  नहीं ! जो वचन दिया  उसका पालन करना, उसे करना ! वाणी का पालन करने से वाणी बलवती होती है !


unnati ka rahsya, Amritwani Satsang, Malad, Mumbai

उन्नति का रहस्य 


मनुष्य  को  चैतन्य  रहना  चाहिये !  संत्संग  में  जाकर  समझने  की चेष्टा  करनी चाहिये !   यही  एक रहस्य  है ,  उन्नति  है !

साधना सत्संग, दिल्ली ,
दिनांक : 03-04-1955
समय रात्रि  9:00  बजे



Sajgta---सजगता


  ::  सजगता  ::


श्री स्वामी सत्यानंदजी महाराज जी समझाते  है.... .

मनु ने कहा है की ब्रह्म-मुहूर्त में जागना चाहिये तथा  उस समय धर्म , अर्थ तथा शास्त्र  के तत्व का चिंतन करना चाहिये !

श्री स्वामी सत्यानंदजी महाराज जी समझाते  है  ::  सजगता  ::

श्री स्वामी सत्यानंदजी महाराज जी समझाते  है  ::  सजगता  :: 




प्रातः  कल उठना उपयोगी  होता है ! ब्रह्म-मुहूर्त  में साधना करने से अधिक लाभ होता है, क्योंकि  उस समय बाहर के विक्षेप नहीं  होते  है तथा प्रकृति भी शान्त होती है अर्थात  वातावरण में विक्षेप  नहीं होता है !  आकाश   में मानस तरंग भी चलती है, जो वातावरण  को खराब  करती है, किन्तु  प्रातःकाल अच्छे  तरंगों को रोकने वाले तरंग कम  होते है ! उस समय सारे  बुरे  तरंग शान्त  होते  है ! इसीलिये प्रातःकाल  साधन के  लिये   बहुत  लाभकारी  है ! दिव्य-लोक के नाद भी अवतरित होते है ! यह प्रातः समय ही सुनाई  देते  है, कोलाहल  के समय नहीं !  उनको  सुनने  से  बड़ा  हर्ष  होता है ! उनसे  मन  स्थिर  हो जाता है, आत्मा जग जाता है !

साधना के लिये  श्रम  करना  चाहिये !  अन्ततः  हम अन्य  बातों  के  लिए  भी  श्रम  करते  है !

साधना सत्संग होशियारपुर
दिनांक  :  05-12-1950.