ध्यान में बैठने कि पूर्व तैयारी
Dhyan mein baithne ki purav taiyari
ध्यान में बैठने के पूर्व उसके योग्य मनोभावना बनानी चाहिये ! उसके साधन है -
१. सबसे प्रथम बैठने के समय आचमन करें, आँखों पर ठंडे पानी के छींटे दे, गर्दन था मुँह पर ठंडे हाथ फेरें ! इससे मनोवृत्तियां शान्त होती है और चित्त स्थिर होता है !
२. बैठने का जो आसान हो तथा ग्रन्थ व मूर्ति रखने की जो चौकी हो, वह केवल उसी काम के लिये हो, उनको और किसी काम में न लाया जाये |
३. हो सके तो ध्यान का कमरा भी अलग ही नियत हो ! उसमे वीतराग पुरुषों के चित्र लगे हो, जिन्हें देखने से हमारी मनोभावना वैसी ही बन जाये !
४. ध्यान का समय नियत हो ! किसी भी कारण उसको आगे-पीछे न किया जाये ! ऋतू परिवर्तन व अपनी सुविधानुसार उसको बदल सकते है, पर जो एक बार नियत किया जाये, उसको नहीं बदला जाये ! यदि कोई प्रिय मित्र अथवा निकट का सम्बन्धी भी उस समय मिलने आये, तो उनको नम्रता से कह दो कि यह हमारे ध्यान का समय है ! किसी और समय पर उनको आने को कह दो पर ध्यान का समय न टालो ! इस नियम कि अवहेलना करने से मनोभावना शिथिल पड़ जाती है और सफलता दूर जा पड़ती है ध्यान में नागा भी कभी नहीं हो !
ध्यान में बैठने कि पूर्व तैयारी
Dhyan mein baithne ki purav taiyari
५. ध्यान में बैठने के पूर्व देवता को उसका नाम लेकर आव्हान करो और नमस्कार करके उसका पूजन करो और ध्यान में यह भावना बनाये रखो कि मेरा देवता मेरे सम्मुख उपस्थित है !
६. ध्यान में जब बैठो तो अनुभव करो कि प्रभु कि कृपा मुझ पर अवतरित हो रही है ! ऐसा करने से बहुत लाभ होता है !
ध्यान में बैठने कि पूर्व तैयारी - Dhyan mein baithne ki purav taiyari |
साधना-सत्संग होशियारपुर
दिनांक २५-१२-१९४०