Sunday, October 17, 2021

उपासक का विचार, Upasak Ka Vichar

 उपासक का विचार


उपासक का विहार निर्मल हो और उस के मन में भगवान के होने का पूरा निश्चय हो ! वह मंत्र का जाप करते हुए चलते फिरते, काम काज में, दिन में कई बार स्मरण करे की नाम की मंत्र का अधिष्ठाता, परम पुरुष, मेरे समीप है! मैं अकेला नहीं हूँ ! मेरा आराध्य देव मेरे अंग संग है  और मेरी सहायता और मेरा सरंक्षण करता है !



Shree Swami Satyanand ji Maharaj ji

अपने पथ पर आप चलाओ, पथ पतन न पाऊँ मैं, Apane Path par aap chalao, Shree Swami Satyanandji Maharaj ji Ke bhajan

Shree Swami Satyanandji Maharaj ji Ke bhajan



अपने पथ पर आप चलाओ,

पथ पतन न पाऊँ मैं ||


पावन पथ है परम प्रभु तेरा,

उस से पैर हटे न मेरा

पर पन्थो की पगडंडी पर,

सपनों में भी न जाओ मैं||१||


अपने पथ पर आप चलाओ,

पथ पतन न पाऊँ मैं ||


तेरे पथ का पथिक में प्राणी,

संशय वश न पाऊँ हानि |

पग पग पर डग मग न डोलू,

प्रेम प्रबल उर लाऊँ मैं ||२||



अपने पथ पर आप चलाओ,

पथ पतन न पाऊँ मैं ||







अब मुझे राम भरोसा तेरा, Ab Mujhe Ram Bharosa Tera, स्वामी सत्यानंदजी महाराज जी के भजन, Amritwani satsang in Malad Mumbai Maharashtra




 अब मुझे राम भरोसा तेरा ||


मधुर महारास नाम पान कर,

मुदित हुआ मन मेरा||१||


अब मुझे राम भरोसा तेरा ||


दीपक नाम जगा जब भीतर,

मिटा अज्ञान अँधेरा||२||


अब मुझे राम भरोसा तेरा ||


निशा निराशा दूर हुई सब,

आई शांत सबेरा ||३||


अब मुझे राम भरोसा तेरा ||

राम मुझे मधुर मिलन मिले तेरा, Ram Mujhe Madhur Milan Mile Tera, स्वामी सत्यानंदजी महाराज जी के भजन, Amritwani satsang in Malad Mumbai Maharashtra

 


राम मुझे मधुर मिलन मिले तेरा ||


मनमुख माया मुख बन मोही,

भरम में भटका बहुतेरा ||१||


अशरण-शरण की चरण शरण में, 

निश दिन बने बसेरा ||२||


गाऊँ मैं राम राम मधुर धुन,

सब दिन साँझ सबेरा ||३||


तेरे मेल में मिल हो जायें,

'मैं' तेरा 'तू' मेरा ||४||