स्थितप्रज्ञ के लक्षण
Sthitpragya Ke Lakshan
अर्थ:
जिस समय तेरी बुद्धि मोहमयी दलदल को सर्वथा तर जायेगी, तब ( तू ) सुननेयोग्य के और सुनेहुए के वैराग्य-विशेषज्ञान को प्राप्त होगा !
स्थितप्रज्ञ के लक्षण
व्याख्या:
जब तक मोह से, आसक्ति से बुद्धि पार न पा जाये तब तक धर्म-कर्म के, विवेक विचार के और परमार्थ तत्वादि के सुनने योग्य और सुने हुए वाक्यों के विशेष ज्ञान को, यथार्थ मर्म को, समझना कठिन है ! इसलिए तत्वज्ञान प्राप्त करने के अर्थ वस्तुओ के मोह को, गहरी ममता को पार करना आवश्यक है !
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