Tuesday, January 11, 2022

sthitpragya-ke-lakshan-स्थितप्रज्ञ-के-लक्षण

 

 स्थितप्रज्ञ के लक्षण

Sthitpragya Ke Lakshan

अर्थ: 

अनेक प्रकार के ग्रंथो को सुनने से विचलित हुई तेरी बुद्धि, जब समाधि में संशयरहित अवस्था में अचल और  निश्चल सुस्थिर स्थित हो जायेगी, तब        ( तू )  सममनः स्थितिरूप योग को पायेगा !



sthitpragya-ke-lakshan-स्थितप्रज्ञ-के-लक्षण
sthitpragya-ke-lakshan-स्थितप्रज्ञ-के-लक्षण



व्याख्या:

अनेक प्रकार के मत-मतान्तर के ग्रंथो के सुनने से बहुत जन संशयशील हो जाते है, विपरीत पथ पर पड़ कर सन्मार्ग को खो बैठते है और उनमें सत्यासत्य का निर्णय करने का सामर्थ्य नहीं रहता ! 

इसलिए श्री भगवान ने अर्जुन को कहा - जब तेरी बुद्धि, पांथिक ग्रंथो के सुनने से विचलित हो गई हुई संदेह रहित समाधान स्थिति में अचल और निश्चल ठहर जाएगी तब तू समभावरूप कर्मयोग को पाएगा !

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